Techno World Inc - The Best Technical Encyclopedia Online!

THE TECHNO CLUB [ TECHNOWORLDINC.COM ] => Orkut FunZone => Topic started by: Pari on December 18, 2006, 07:19:33 PM



Title: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Pari on December 18, 2006, 07:19:33 PM
Hello Friends..

Lets post all hindi scraps, poetry in this section..

use the hindi typing tool from http://hindi.technoworldinc.com


My Community at Orkut http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=22874596
Please Join..


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Pari on December 18, 2006, 07:20:17 PM
Letme start..do post your comments if u like them..

भले ही मुल्क के हालात में तब्दीलियाँ कम हों
किसी सूरत गरीबों की मगर अब सिसकियाँ कम हों।

तरक्की ठीक है इसका ये मतलब तो नहीं लेकिन
धुआँ हो, चिमनियाँ हों, फूल कम हों, तितलियाँ कम हों।

फिसलते ही फिसलते आ गए नाज़ुक मुहाने तक
जरूरी है कि अब आगे से हमसे गल्तियाँ कम हों।

यही जो बेटियाँ हैं ये ही आखिर कल की माँए हैं
मिलें मुश्किल से कल माँए न इतनी बेटियाँ कम हों।

दिलों को भी तो अपना काम करने का मिले मौका
दिमागों ने जो पैदा की है शायद दूरियाँ कम हों।

अगर सचमुच तू दाता है कभी ऐसा भी कर ईश्वर
तेरी खैरात ज्यादा हो हमारी झोलियाँ कम हों।


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:26:25 PM
nice thread pari..:) i'l also post my collection..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..

जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..
साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..

वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..
तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..

ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..
मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..

बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..
हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:32:44 PM
लोग कहते हैं हुई थी बारिश उस रोज़,
उन्हें क्या पता ग़म-ए-हिज़्र में रोया था कोई।
यूँ साए देख कर खुश होते हैं सब ग़ाफ़िल,
उन्हें क्या पता कल धूप में सोया था कोई।

कतरा-कतरा कर के मुस्कुराते हैं सभी,
उन्हें क्या पता चश़्म-ए-तर का रोया था कोई।
मंज़िल-ए-आखिर को चलते हैं अब राहिल,
उन्हें क्या पता इन राहों पर खोया था कोई।

हजारों ख्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां, मगर फिर भी कम निकले

जो तु चाहे वो तेरा हो,रोशन राँते खुबसुरत सवेरा हो।
जारी रखेंगे हम दुआंओ का सिलसिला, कामयाब हर मंजिल पर दोस्त मेरा हो।

रात में उजियारे के लिए ! बस एक चाँद काफी है !! तुझे ना भुला पाने के लिए ! बस एक मुलाकात काफी है !! हवाओ में भर दे मदहोशी ! उसके लिए होंठो पर मुस्कराहट काफी है !!


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:35:39 PM
मैने पीना कब सीखा था?
मैने जीना कब सीखा था?
एक बोतल जो टूट गयी तो,
तो महफ़िल सारी रूठ गयी॥

ये दुनिया एक महफ़िल है
और हम इसके मेहमाँ हैं,
हैं कुछ साक़ी और कुछ आशिक़
उम्मीदें हैं ,कुछ अरमाँ हैं॥

आज अगर कुछ शब्द बहे,
तो आखिर दिल से कौन कहे,
प्यार वफ़ा कसमें और वादे
अब इनकी पीड़ा कौन सहे?

पीड़ा को इतिहास बता कर
पीना मैने अब सीखा है।
शायद लोग और कुछ कह दें
पर जीना मैने अब सीखा है॥


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Taruna on December 18, 2006, 07:39:05 PM
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,
घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.

यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.

ये सेलफोन है या ढक्कन,
स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.
ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है
कि मच्छर नहीं है, कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है
मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.

तोंद की ये हालत मेरी भी है उसकी भी,
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है, मगर कब करें हम,
इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं.

दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,
ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है, फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें,


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Pari on December 18, 2006, 07:39:59 PM
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:40:53 PM
मैं चातक हुँ, तू बादल है
मैं लोचन हुँ, तू काजल है
मैं आँसू हुँ, तू आँचल है
मैं प्यासा, तू गँगाजल है.
तू चाहे दीवाना कह ले,
या अल्हड मस्ताना कह ले,
तू चाहे रोगी कह ले,
या मतवाला जोगी कह ले,
मैं तुझे याद करते-करते अपना भी होश भुला बैठा.
जिसने मेरा परिचय पूछा, मैं तेरा नाम बता बैठा_____________________#


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:42:03 PM
Mujse mat pooch ki kyun aankh jhuka li maine,
teri tasveer thi jo tujhse chupa li maine,
jis pe likha tha ki tu mere muqaddar mein nahi,
apne maathe ki woh tehreer mita li meine,

har janm sabko yahaan sachha pyaar kahaan milta hai,
teri chaahat mein to umr bita li meine,
mujhko jaane kahaan ehsaas mere le jaayein,
waqt ke haathon se ek nazm utha li meine,

ghere rehti hai mujhe ek anokhi khushbu,
teri yaadon se har ek saans saja li meine,
jiske sheron ko woh sunke bahut roya tha,
bas wohi ek ghazal sabse chupa li meine.


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:42:44 PM
hamare profile pe aate hain woh....
(zara gor farmayein..)
hamare profile pe aate hain woh............
(wah-wah)
aur ek scrap bhi nahi chod jate hai woh....
(kya baat hai....)


itna bhi nahi maloom zalim ko....
(baat ki gahraayee dekhiye)

recent visiters main dikh jaate hain woh
(kamal ho gaya)!!!!!!!


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Taruna on December 18, 2006, 07:43:29 PM
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..

जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Pari on December 18, 2006, 07:43:58 PM
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?


अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 18, 2006, 07:44:49 PM
क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: amit164 on December 20, 2006, 01:31:12 PM
Hasrat hai sirf unhe pane ki, aur koi khwahish nahi is diwane ki,
shikwa mujhe unse nahi khuda se hai,
kya zarurat thi unhe khubsurat banane ki?

Aap kya samjhe humne aapko bhula rakha hai,
Aap nahi Jaante Dil mein chupa rakha hai,
Dekh na le koi aapko meri aankhon mein,
Isliye palkon ko jhukaye rakha hai......... ..

Hum nazaron se dur hai,aankhon se nahin,
Hum khwabon se dur hai,khayalo se nahin,
Hum dil se dur hai,dhadkan se nahin,
Hum aap se dur hai, aapki yaadon se nahin....... .



Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on December 21, 2006, 02:36:26 PM
 बात आती हे जुबा पर मगर कहा नही जाता,
दिल-ए-बेताब का ये हाल भी अब सहा नही जाता

उन्हे आखो मे बसाया हे, सब गम से बचा कर.
रन्जिश-ए-गम मे अश्क़ अपने मे बहा नही पाता

नज़र ना लग जाये जमाने कि, छुपाया पलको मे,
अब चाहकर भी तेरे दिदार का लुफ़्त मै उढा नही पाता

रात भर करे दिदार तेरा आसमान मे ये आखे
निन्द तेरे ख्वाबो के लिये भी मे बचा नही पाता

घेर लिया हे मुझको तन्हाईयो के अन्धेरो ने ऐसे,
पन्ने हे तेरी यादो के मगर मे जला नही पाता

कोशिश करता तो शायद तुझे भुला देता मगर,
आईनो मे तेरे अक्श को मे छुपा नही पाता

यु तो केई दर्दो कि दवा बन जाती हे ये जुबान.
अफ़्सोस इसे अपने घावो मरहम मे बना नही पाता

बात इत्नि सि होती तो शयद कह देता मे रोकर भि,
आग बरसो कि लगी सिने मे जिसे मे बुझा नही पाता

कही बदनाम ना हो जाये मौहबत मेरी इस डर से
अपनी लिखी हुइ नजमो को भी मे गुनगुना नही पाता

जिस्म मे बसाया था खुदाया मे ने तुझे दिलबर
घुट घुट के तु ना मर जाये,खुद को दफ़्ना नही पाता


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on December 21, 2006, 02:36:55 PM
मन्जर धुआ धुआ था,,,,,

लमहा ख्वाब ख्वाब था ,,,,,

जो तेरे साथ गुजरा ,,,

वो लमहा शराब था,,,,

हम अपनी जिन्दगी को कहा तक सवारते,,,,

कीमती किताब का कागज खराब था.......!!!!!


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on December 21, 2006, 02:38:49 PM
Ulfat ka jab kisi ne liya naam ,ro pade.
Apni vafaa ka soch kar anjaam, ro pade.

Har sham ye sawaal mahobbat se kya mila,
Har sham ye jawaab ke har sham, ro pade.

Rona hi jab naseeb to auro se kya gila,
Apne hi sar liya koi ilzaam, ro pade.

Meri hi parchhayi meri rakib thi safar mai,
Manzilo ka aaya makaam ,ro pade.

Paaon ke chhale, mere dil ke zakahm hai,
Sirf Tera liya naam hargaam, ro pade.

Mahobbat ke dariya mai ummide saahil,
Aandhiyo ka aaya jo tufaan, ro pade.

Aaine jab bhi dekhe ,saare shahar ke.
Bhul gaye khud ki pehchan, ro pade.


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: amit164 on December 21, 2006, 04:10:35 PM
************ ********* ********* ***
Zaroori toh nahi ke jeene ke liye koi sahara ho
zaroori toh nahi ke hum jis ke hai woh bhi hamara ho
kuch kashtiyaa dhoob jaaya karti hai
zaroori toh nahi ke har kashti ke liye kinara ho

************ ********* ********* *
Jee lete hain Koi humein agar kahe bura,
dua dekar usse honton ko hum see lete hain
Dard ho chahe kaisa,
zehar yeh chupke se hum pee lete hain

************ ********* ********* *
ek woh din tha jab tere nazare mere aankhon se mile
phir woh din aaya jab mere ankhon se dard ka aansoon bahe
aaj woh din hai jab mere toote dil se lahoo hi nikale
kab woh din aayega jab mere seene se tere dil nikelenge

************ ********* ********* *
Ban sahara be-saharo ke liye
ban kinara be-kinaro ke liye
jo jeeye apne liye toh kya jeeye
jee sakke toh jee hazaro ke liye

************ ********* ********* *
Dard ko na dekhiye dard se
dard ko bhi dard hota hai
dard ko bhi zaroorat hai pyar ki
aahir pyar mein dard hitoh hamdard hota hai

************ ********* ********* *
Iss dil ko kisi ki aahat ki aas rehti hai
nigaah kokisi soorat ki pyaas rehti hai
tere bina zindagi mein kami toh nahi
phir bhi tere bina zindagi udhaas rehti hai

************ ********* ********* *
Wo lamhe humein yaad na rahe toh kya hoga
tere siva kuch bhi aabaad na rahe toh kya hoga
aisi hai yeh dil ki majbooriyaan kaise batau
inn saanson mein ab tera naam na rahe toh kya hoga

************ ********* ********* *
Zakhm aisa diya ke koi dawa kaam na aaye,,
aag aise lagaye ke paani se bhi na bhuj paaye,,
Aaj bhi rote hain unhe yaad karke...
JISSE HAMARI YAAD KABHI NA AAYE........ ........

************ ********* ********* *
Duao ki bheed mein ek dua hamari
jis mein maangi hai humne har khushi tumhari
jab bhi aap muskuraaye dil se
samjho dua kabool hui hamari

************ ********* ********* *
Mere dil ki yahi thi khwahish tujhe apna bana sakku
dard-e-dil ka haal sunna sakku
tum ne kabhi dekha hi nahi meri taraf pyar se
mauka mila hi nahi ke mein dil k


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Taruna on December 21, 2006, 07:23:24 PM
तेरा हर आँसू तारा बन केनाकाम मुहब्बत का कोई, दस्तूर निभाने आया है

तेरा हर आँसू तारा बन के, राह दिखाने आया है

ख़ुद रो रो के ऐसे क्यों तू, मुझे रूलाने आया है

आग लगाने आया है ,की आग बुझाने आया है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Tina on December 23, 2006, 11:04:49 PM
हमने भी देखे जहा केसे-केसे,
की बेवफ़ा होते यहा कैसे-कैसे.

गुज़रगाह-ए-अरमान-ओ-हसरत राह दिल,
गुज़रते रहे कारवा केसे-केसे.



हमारी चाह,उन्की इकरारह के खेल मे,
दर्द हो गये जवा केसे-केसे.



तेरी निगाह-ए-हिक़रत॰॰ ने तबाह किये,
यहा दिल-ए-बोस्ता॰ केसे-केसे.



दिल रह गया तनहा इशक़ के सफ़र मे,
आये गये दिल मे मेहमान कैसे-कैसे.

न रो “घायल” हालत पे अपनी,यहा,
होते मज़म-ए-आफ़त्ज़दगा॰ कैसे-कैसे.


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Admin on December 31, 2006, 06:34:04 PM
आज एक बार फ़िर सुरज को उगता देखो
और चान्द को चान्दनी रात मे जागता देखो
क्या पता कल ये धरती
चान्द और सुरज हो ना हो

आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो

क्या पता
कल हो ना हो ....


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Vatsal on February 11, 2007, 10:04:56 AM
FOOLON NE KHUSBU DEE AAPAKO,
SURAJ NE ROSANI DEE AAPAKO.
HUM TOKUCHH DENE LAYAK NHIN,
KHUDA LAMBEE UMAR DE AAPAKO.


Hamaari dosti phoolon ki tarah na ho,
jo ek bar khile aur murjha jaye,,,,,,,,
balki kaaton ki tarah ho jo,,,,,,,,,,,,,
ek bar chubhe to bar- bar yaad aaye.


Kuchh Kehte Hai Dosti Hai Pyaar,
Kuchh Kehte Hai Dosti Hai Zindagi,
Lekin Hum Kehte Hai Dosti Hai Dosti,
Jisse Badhkar Naa Pyaar Hai Naa Zindagi.

dosti pe mere kabhi be-yaqin tum na hona,,
door ho jaaye dunya par door tum na hona,,
pa ke tujhe paayee hai dunya ki har nemat,,
rooth na jaana kabhi, kabhi juda tum na hona...


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Taruna on February 14, 2007, 12:36:42 AM
 जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.

घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है?..

कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.

मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है?..

Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on March 14, 2007, 02:20:10 PM
सफ़र मे धूप होगी जो चल सकों तो चलो

सभीं हैं भीड मे तुम भी निकल सकों तो चलो

इधर ऊधर कईं मंजिलें हैं चल सको तो चलो

बने बनाए हैं सांचे जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं

तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो

यहां कोइ किसी को रास्तां नहीं देता

मुझे गिराकर तुम संभल सको तो चलो

यही हैं जिंदग़ी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें

ईन्ही खिलौनो से तुम भी बहल सको तो चलो

कहीं नही कोई सूरज,धुआं धुआं हैं फ़िजा

खुद अपने आप से बहर निकल सको तो चलो


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on March 14, 2007, 02:39:08 PM
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का.. बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की. देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज.. दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी.. पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी.. दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग.. दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी" पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि.. भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on March 18, 2007, 07:09:39 PM
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दिनो के है ये रिश्ते, फिर वही रुसवायी है.

घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मिल जाता है.
दो दिन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..

कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.

मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलिये Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है…..

Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जिन्दगी ये किस मोड पे ले आयी है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 24, 2007, 10:09:08 AM
इस छोटी सी जिन्दगी के,
गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,
सबको अपना कह सकूँ,
ऐसा ठिकाना चाहता हूँ,
टूटे तारों को जोड़ कर,
फिर आजमाना चाहता हूँ,
बिछुड़े जनों से स्नेह का,
मंदिर बनाना चाहता हूँ.
हर अन्धेरे घर मे फिर,
दीपक जलाना चाहता हूँ,
खुला आकाश मे हो घर मेरा,
नही आशियाना चाहता हूँ,
जो कुछ दिया खुदा ने,
दूना लौटाना चाहता हूँ,
जब तक रहे ये जिन्दगी,
खुशियाँ लुटाना चाहता हूँ


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 24, 2007, 11:22:05 AM
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 25, 2007, 10:09:27 AM
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'।

एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।

बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधु के प्यालों की माला'
'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंत्र का जाप करे'
मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं, मंदिर हो यह मधुशाला।।

अधरों पर हो कोई भी रस जिहवा पर लगती हाला,
भाजन हो कोई हाथों में लगता रक्खा है प्याला,
हर सूरत साकी की सूरत में परिवर्तित हो जाती,
आँखों के आगे हो कुछ भी, आँखों में है मधुशाला।।

मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 26, 2007, 01:03:26 PM
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥


अर्थात्:
हम उन शिव अथवा रुद्र की पूजा करते हैं जो दुर्गन्ध को हटाने वाले तथा बल को देनेवाले है और जो रोग एवं मृत्यु को इस प्रकार निकाल बाहर करते हैं जैसे साँप अपनी केंचुली को फेंक देता है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 27, 2007, 12:41:21 AM
मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.
मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है!
मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......
कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी...
कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी....
मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं...
मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं...
मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी...
बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं...
मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी...
लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं
मेरे बारे में और सच, kewal main bata sakta hun.


बुलबुलों में रहा पिंजरों की तरह,
रास्तों पर चला मंजिलों की तरह,


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on April 29, 2007, 08:03:51 PM
इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे

छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे
अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे

लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे

दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on May 04, 2007, 12:33:14 PM
कामायनी
('निर्वेद' परिच्छेद के कुछ छंद)

"तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन!

विकल होकर नित्य चंचल,
खोजती जब नींद के पल,
चेतना थक-सी रही तब,
मैं मलय की वात रे मन!

चिर-विषाद-विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर-वन की;
मैं उषा-सी ज्योति-रेखा,
कुसुम-विकसित प्रात रे मन!

जहाँ मरु-ज्वाला धधकती,
चातकी कन को तरसती,
उन्हीं जीवन-घाटियों की,
मैं सरस बरसात रे मन!

पवन की प्राचीर में रुक
जला जीवन जी रहा झुक,
इस झुलसते विश्व-दिन की
मैं कुसुम-ऋतु-रात रे मन!

चिर निराशा नीरधर से,
प्रतिच्छायित अश्रु-सर में,
मधुप-मुखर-मरंद-मुकुलित,
मैं सजल जलजात रे मन!"


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on May 07, 2007, 11:39:30 AM
just for u:
dosti pehli baarish ki boondon main hai
dosti khilte phoolon ki khushboo main hai
dosti dhalte sooraj ki kirano main hai
dosti har naye din ki umeed hai
dosti khwaab hai,dosti jeet hai
dosti pyaar hai,dosti geet hai
dosti do jahano ka sangeet hai
dosti har khushi,dosti zindagi
dosti agahi,roshni,bandagi
dosti sang chalty hawaon main hai
dosti in barasti ghataon main hai
dosti doston ki wafaon main hai
haath uttha kay jo maangi gayi hai dua
dosti ka asar in duaon main hai....!!! honeywell
dosti pehli baarish ki boondon main hai
dosti khilte phoolon ki khushboo main hai
dosti dhalte sooraj ki kirano main hai
dosti har naye din ki umeed hai
dosti khwaab hai,dosti jeet hai
dosti pyaar hai,dosti geet hai
dosti do jahano ka sangeet hai
dosti har khushi,dosti zindagi
dosti agahi,roshni,bandagi
dosti sang chalty hawaon main hai
dosti in barasti ghataon main hai
dosti doston ki wafaon main hai
haath uttha kay jo maangi gayi hai dua
dosti ka asar in duao main hai


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on May 07, 2007, 11:44:17 AM
кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♥ тυ нαя gнαяι нαя ωαqт мєяє ѕααтн яαнα ну ♥

♥ нααη ує נιѕм кαвнι ∂σσя кαвнι ρααѕ яαнα ну ♥

♥ נσ внι gнυм нαιη ує тєяє, υηнє тυ мєяα ραтα ∂є ♥

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♥ мυנн кσ тσ тєяє ¢нєняє ρє ує gнυм ηαнι נαנтα ♥

♥ נααιz ηαнι ℓαgтα мυנнє gнυм ѕє тєяα яιѕнтα ♥

♥ ѕυη мєяι gυzααяιѕн , ιѕє ¢нєняє ѕє нαтα ∂є ♥

♥ ѕυη мєяι gυzααяιѕн , ιѕє ¢нєняє ѕє нαтα ∂є ♥

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪

♪ ααηѕσσ тєяє ѕαααяє мєяι ραℓкσ ρє ѕαנαα∂є ♪

♪ кυ¢н ιѕ тαяαн тєяι ραℓкє мєяι ραℓкσ ѕє мιℓα ∂є ♪


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on May 25, 2007, 06:39:14 PM
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात् ॥


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Khushi on June 28, 2007, 11:30:01 PM
बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लू


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Tina on July 20, 2007, 12:13:11 PM
तुम हमारे नहीं तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है
मुस्करा दो जरा खुदा के लिये
शमे महफ़िल मे रोशनी कम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है
बन गया है यह जिन्दगी अब तो
तुझ से बढ कर हमे तेरा गम है
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो है यह क्या कम है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Hellraiser on July 26, 2007, 08:41:33 PM
मेरा दिल तुम्हारी धङकन में धङकता है,

फिर इजहार-ए-मुहब्बत की जरूरत क्या है ?

जब खुदा मेहरबान है हमारे इश्क पर,

तो जमाने को मनाने की जरूरत क्या है ?
............ ......... ......... ......... ..
आज कितने दिनों बाद बूंदें गिरीं, ये बारिश नहीं, कोई रो रहा है ।

तभी तो इतनी ठंडी हवा चल रही है, कोई दुखी मन से सो रहा है ।

शोर मत मचाना, नहीं तो दर्द जाग डायेगा,

और वो उसका प्यारा सा स्वप्न भी भाग जायेगा ।

इन बूंदों से उसका दर्द कम हो रहा है ।

तुम भी सो जाओ इस अहसास के साथ कि तुम्हारा दर्द तुम्हारे साथ सो रहा है ।
............ ......... ......... ......... ..
कब मैं मैं से तुम हो गयी, तुम्हारी यादों में गुम हो गयी ।

इस पर भी तुमने मेरी आरजू को न पहचाना, तुमने मुझे तुम नहीं आप ही जाना।


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Hellraiser on September 01, 2007, 02:27:11 PM
फूलो से कह दो महकना बंद कर दे, की उनकी महक की कोई जरूरत नही....

सितारो से कह दो चमकना बंद कर दे, की उनकी चमक की कोई जरूरत नही....

भवरो से कह दो अब ना गुनगुनाये, की उनकी गुंजन की कोई जरुरत नही....

सागर की लहरे चाहे तो थम जाये, की उनकी भी कोई जरुरत नही....

सुरज चाहे तो ना आये बाहर्, की उसकी किरणो की भी जरुरत नही....

चाँद चाहे तो ना चमके रात भर, की उसके आने की भी जरुरत नही....


वो जो आ गये हैं इस जहाँ में, तो दुनिया मे और किसी खूबसूरती की जरुरत ही नही


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Vatsal on September 20, 2007, 11:48:22 AM
छतरी लेने नहीं जाऊंगा


तीन आदमी, दो अधेड़ और एक युवा, किसी बीयर बार में बीयर पीने गये। जब वह पीने लगे तो एक आदमी बोला - ''लगता है बाहर बारिश हो रही है।'' गरमागरम बहस के बाद तय हुआ कि उम्र में सबसे छोटा छतरी लेने के लिये घर जाये। लड़का गुर्राया - ''मेरे जाने पर तुम मेरी सारी बीयर पी जाओगे।'' उसे इतमीनान दिलाया गया कि नहीं पीयेंगे, उसके हिस्से की ज्यों की त्यों रखी रहेगी। तब कहीं छोटे मियां छतरी लेने चले।
रात गहराने लगी पर छोटे मियां नहीं लौटे। अन्त में एक बोला - ''क्यों न उन हजरत के हिस्से की भी पी ही ली जाये। अब तो वे आने से रहे।''
दूसरा बोला - ''मैं भी यही सोच रहा था। आओ पी लें।''
बार के एक कोने की छोटी सी खिड़की से तेज आवाज आई - ''अगर पीओगे तो मैं छतरी लेने नहीं जाऊंगा।''


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Taruna on November 22, 2007, 03:04:45 PM
हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,

हर चहरे मे कुछ तोह एह्साह है,

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,

क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,

तोह चाँद की चाहत किसे होती.

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,

तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.

कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,

इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,

जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,

न बताकर बेवफाई मत करना.

दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है

अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,

अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है.

दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.

दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,

यह वो "अनमोल" मोटी है जो बिकता नही . . .

सची है दोस्ती आजमा के देखो..

करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो,

बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,

चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो .............


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Pankhuri on December 05, 2007, 11:35:15 AM
बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...

ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...

खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...

पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...

अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...

आप जैसे दोस्त जबसे मिले...
किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही .


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Vatsal on December 24, 2007, 10:34:00 PM
औरकुट songs...

बप्पी दा इश्टाईल:

औरकुटिंग बिना चैन कहां रे...
स्करैपिंग बिना चैन कहां रे...
सोना नहीं चांदी नहीं,औरकुट तो मिला
अरे औरकुटिंग कर ले....



तुम तो ठहरे औरकुटवाले..
साथ क्या निभाओगे...
सुबह पहले..
सुबह पहले मौके पे
नेट पे बैठ जाओगे...

तुम तो ठहरे औरकुटवाले...
साथ क्या निभाओगे..

...जॉनी वॉकर माफ़िक:

जब सर पे ख्याल मंडराएं,
और बिल्कुल रहा ना जाए..
आजा प्यारे औरकुट के द्वारे,
काहे घबराए... काहे घबराए shaheena औरकुट songs...

बप्पी दा इश्टाईल:

औरकुटिंग बिना चैन कहां रे...
स्करैपिंग बिना चैन कहां रे...
सोना नहीं चांदी नहीं,औरकुट तो मिला
अरे औरकुटिंग कर ले....

...अल्ताफ राजा शैली:

तुम तो ठहरे औरकुटवाले..
साथ क्या निभाओगे...
सुबह पहले..
सुबह पहले मौके पे
नेट पे बैठ जाओगे...


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Hellraiser on February 18, 2008, 01:55:44 PM
अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।

उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।

छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।

उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।

वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।

रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।

तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।

हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।

मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।

मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।

दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।

मंज़िल को पाना जरुरी भी नहीं ,
मंज़िलो से सदा फासला रखना ।

सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ' दीप ' को जला कर रखना ।


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Hellraiser on February 19, 2008, 10:23:04 AM
दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे ......एक ने कहा
...." यार.... बहुत फेमिली प्रॉब्लम है "..

दूसरा व्यक्ति : तु पहले मेरी सुन........

मैंने एक विधवा महिला से शादी की जिसके एक लड़की थी ...
कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरे पिताजी को उस विधवा महिला कि पुत्री से प्यार है ....और उन्होने इस तरह मेरी ही लड़की से शादी कर ली ...

अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी माँ बन गयी....और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गयी !!

ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई जब जब मेरे लड़का हुआ ..अब मेरा लड़का मेरी माँ का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया .......

परिस्थिति तो तब ख़राब हुई जब मेरे पिताजी को लड़का हुआ ....मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही नवासा( दोहिता ) हो गया और इस तरह मैं स्वयम का ही दादा हो गया और स्वयम का ही पोता बन गया .....

......." और तू कहता है कि तुज्हे फेमिली प्रॉब्लम है


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Vatsal on February 25, 2008, 09:52:30 PM
एक लडकी थी दीवानी सी
मोबाईल लेकर चलती थी
नज़रें झुका के
शर्मा के
मोबाईल मे जाने क्या देखा करती थी
कुछ करना था शायद उसको
पर जाने किस से डरती थी
जब भी मिलती थी मुझसे
येही पूछा करती थी
ये ओन कैसे होता है?
ये ओन कैसे होता है?

और मै सिर्फ येही कहता था
ये मोबाईल नही टी.वी का रिमोट ह


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Hellraiser on February 26, 2008, 12:22:23 AM
बहूत खूबसूरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम !
कभी मैं जो कह दूं मोहब्बत है तुम से !
तो मुझको खुदारा गलत मत समझना !
के मेरी जरुरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम !

है फ़ुलों की डाली, ये बाहें तुम्हारी !
है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी !
जो काटें हों सब अपने दामन में भर लूं !
सजाउं मैं इनसे राहें तुम्हारी !
नज़र से जमाने की खुद को बचाना !
किसी और से देखो दिल न लगाना !
के मेरी अमानत हो तुम !
बहुत खूबसूरत हो तुम !

है चेहरा तुम्हारा के दिन है सुनेहरा !
और उस पर ये काली घटाओं का पेहरा !
गुलाबों से नाजु़क मेहकता बदन है !
ये लब है तुम्हारा के खिलता चमन है !
बिखेरो जो जु़ल्फ़ें तो शरमाये बादल !
ये ताहिर भी देखे तो हो जाये पागल !
वो पाकीजा़ मुरत हो तुम !
बहुत खूबसूरत हो तुम !

मोहब्बत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम !
जो बन के कली मुस्कूराती है अक्सर !
शबे हिज्र मैं जो रुलाती है अक्सर !
जो लम्हों ही लम्हों मे दुनिया बदल दे !
जो शायर को दे जाये पेहलु ग़ज़ल की !
छुपाना जो चाहे छुपाई न जाये !
भुलाना जो चाहे भुलाई न जाये !
वो पेहली मोहब्बत हो तुम !
बहुत खूबसूरत हो तुम


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Mark David on March 02, 2008, 11:42:38 PM
इतनी शक्ति हमे देना दाता, मन का विश्‍वास कमजोर हो ना!
हम चले नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो ना!

हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है, सहमा सहमा सा हर आदमी है!
पाप का बोझ बढता ही जाए, जाने कैसे ये धरती थमी है!
बोझ ममता का तू ये उठा ले, तेरी रचना का ये अंत हो ना!
हम चले.............

दूर अज्ञान के हो अंधेरे, तू हमे ज्ञान की रोशनी दे,
हर बुराई से बचते रहे हम, जितनी भी हो भली जिन्दगी दे,
बैर हो ना किसी से किसी का, भावना मन में बदले की हो ना,
हम चले ..........

हम ना सोचें हमे क्या मिला है, हम ये सोचे किया क्या है अर्पण,
फ़ूल खुशियों के बाँटे सभी को, सबका जीवन ही बन जाए मधुबन,
अपनी करूणा का जल तू बहा के, कर दे पावन हर इक मन का कोना,
हम चले.............


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Mark David on March 17, 2008, 06:42:29 PM
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में


Title: Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
Post by: Mark David on August 11, 2008, 11:56:47 PM
दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का.. बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की. देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज.. दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी.. पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी.. दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग.. दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी" पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि.. भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..