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 Hindi Scraps || Hindi Poetry
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Author Topic: Hindi Scraps || Hindi Poetry  (Read 41945 times)
Pari
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Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Posted: December 18, 2006, 07:19:33 PM »


Hello Friends..

Lets post all hindi scraps, poetry in this section..

use the hindi typing tool from http://hindi.technoworldinc.com


My Community at Orkut http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=22874596
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« Reply #1 Posted: December 18, 2006, 07:20:17 PM »
Pari
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #1 Posted: December 18, 2006, 07:20:17 PM »

Letme start..do post your comments if u like them..

भले ही मुल्क के हालात में तब्दीलियाँ कम हों
किसी सूरत गरीबों की मगर अब सिसकियाँ कम हों।

तरक्की ठीक है इसका ये मतलब तो नहीं लेकिन
धुआँ हो, चिमनियाँ हों, फूल कम हों, तितलियाँ कम हों।

फिसलते ही फिसलते आ गए नाज़ुक मुहाने तक
जरूरी है कि अब आगे से हमसे गल्तियाँ कम हों।

यही जो बेटियाँ हैं ये ही आखिर कल की माँए हैं
मिलें मुश्किल से कल माँए न इतनी बेटियाँ कम हों।

दिलों को भी तो अपना काम करने का मिले मौका
दिमागों ने जो पैदा की है शायद दूरियाँ कम हों।

अगर सचमुच तू दाता है कभी ऐसा भी कर ईश्वर
तेरी खैरात ज्यादा हो हमारी झोलियाँ कम हों।
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« Reply #2 Posted: December 18, 2006, 07:26:25 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #2 Posted: December 18, 2006, 07:26:25 PM »

nice thread pari..Smiley i'l also post my collection..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..

जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..
साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..

वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..
तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..

ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..
मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..

बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..
हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं
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« Reply #3 Posted: December 18, 2006, 07:32:44 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #3 Posted: December 18, 2006, 07:32:44 PM »

लोग कहते हैं हुई थी बारिश उस रोज़,
उन्हें क्या पता ग़म-ए-हिज़्र में रोया था कोई।
यूँ साए देख कर खुश होते हैं सब ग़ाफ़िल,
उन्हें क्या पता कल धूप में सोया था कोई।

कतरा-कतरा कर के मुस्कुराते हैं सभी,
उन्हें क्या पता चश़्म-ए-तर का रोया था कोई।
मंज़िल-ए-आखिर को चलते हैं अब राहिल,
उन्हें क्या पता इन राहों पर खोया था कोई।

हजारों ख्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां, मगर फिर भी कम निकले

जो तु चाहे वो तेरा हो,रोशन राँते खुबसुरत सवेरा हो।
जारी रखेंगे हम दुआंओ का सिलसिला, कामयाब हर मंजिल पर दोस्त मेरा हो।

रात में उजियारे के लिए ! बस एक चाँद काफी है !! तुझे ना भुला पाने के लिए ! बस एक मुलाकात काफी है !! हवाओ में भर दे मदहोशी ! उसके लिए होंठो पर मुस्कराहट काफी है !!
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« Reply #4 Posted: December 18, 2006, 07:35:39 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #4 Posted: December 18, 2006, 07:35:39 PM »

मैने पीना कब सीखा था?
मैने जीना कब सीखा था?
एक बोतल जो टूट गयी तो,
तो महफ़िल सारी रूठ गयी॥

ये दुनिया एक महफ़िल है
और हम इसके मेहमाँ हैं,
हैं कुछ साक़ी और कुछ आशिक़
उम्मीदें हैं ,कुछ अरमाँ हैं॥

आज अगर कुछ शब्द बहे,
तो आखिर दिल से कौन कहे,
प्यार वफ़ा कसमें और वादे
अब इनकी पीड़ा कौन सहे?

पीड़ा को इतिहास बता कर
पीना मैने अब सीखा है।
शायद लोग और कुछ कह दें
पर जीना मैने अब सीखा है॥
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« Reply #5 Posted: December 18, 2006, 07:39:05 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #5 Posted: December 18, 2006, 07:39:05 PM »

मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,
घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.

यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.

ये सेलफोन है या ढक्कन,
स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.
ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है
कि मच्छर नहीं है, कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है
मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.

तोंद की ये हालत मेरी भी है उसकी भी,
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है, मगर कब करें हम,
इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं.

दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,
ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है, फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें,
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« Reply #6 Posted: December 18, 2006, 07:39:59 PM »
Pari
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #6 Posted: December 18, 2006, 07:39:59 PM »

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं
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« Reply #7 Posted: December 18, 2006, 07:40:53 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #7 Posted: December 18, 2006, 07:40:53 PM »

मैं चातक हुँ, तू बादल है
मैं लोचन हुँ, तू काजल है
मैं आँसू हुँ, तू आँचल है
मैं प्यासा, तू गँगाजल है.
तू चाहे दीवाना कह ले,
या अल्हड मस्ताना कह ले,
तू चाहे रोगी कह ले,
या मतवाला जोगी कह ले,
मैं तुझे याद करते-करते अपना भी होश भुला बैठा.
जिसने मेरा परिचय पूछा, मैं तेरा नाम बता बैठा_____________________#
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« Reply #8 Posted: December 18, 2006, 07:42:03 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #8 Posted: December 18, 2006, 07:42:03 PM »

Mujse mat pooch ki kyun aankh jhuka li maine,
teri tasveer thi jo tujhse chupa li maine,
jis pe likha tha ki tu mere muqaddar mein nahi,
apne maathe ki woh tehreer mita li meine,

har janm sabko yahaan sachha pyaar kahaan milta hai,
teri chaahat mein to umr bita li meine,
mujhko jaane kahaan ehsaas mere le jaayein,
waqt ke haathon se ek nazm utha li meine,

ghere rehti hai mujhe ek anokhi khushbu,
teri yaadon se har ek saans saja li meine,
jiske sheron ko woh sunke bahut roya tha,
bas wohi ek ghazal sabse chupa li meine.
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« Reply #9 Posted: December 18, 2006, 07:42:44 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #9 Posted: December 18, 2006, 07:42:44 PM »

hamare profile pe aate hain woh....
(zara gor farmayein..)
hamare profile pe aate hain woh............
(wah-wah)
aur ek scrap bhi nahi chod jate hai woh....
(kya baat hai....)


itna bhi nahi maloom zalim ko....
(baat ki gahraayee dekhiye)

recent visiters main dikh jaate hain woh
(kamal ho gaya)!!!!!!!
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« Reply #10 Posted: December 18, 2006, 07:43:29 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #10 Posted: December 18, 2006, 07:43:29 PM »

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..

जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..
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« Reply #11 Posted: December 18, 2006, 07:43:58 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #11 Posted: December 18, 2006, 07:43:58 PM »

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?


अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है
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« Reply #12 Posted: December 18, 2006, 07:44:49 PM »
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #12 Posted: December 18, 2006, 07:44:49 PM »

क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰
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« Reply #13 Posted: December 20, 2006, 01:31:12 PM »
amit164
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Re: Hindi Scraps || Hindi Poetry
« Reply #13 Posted: December 20, 2006, 01:31:12 PM »

Hasrat hai sirf unhe pane ki, aur koi khwahish nahi is diwane ki,
shikwa mujhe unse nahi khuda se hai,
kya zarurat thi unhe khubsurat banane ki?

Aap kya samjhe humne aapko bhula rakha hai,
Aap nahi Jaante Dil mein chupa rakha hai,
Dekh na le koi aapko meri aankhon mein,
Isliye palkon ko jhukaye rakha hai......... ..

Hum nazaron se dur hai,aankhon se nahin,
Hum khwabon se dur hai,khayalo se nahin,
Hum dil se dur hai,dhadkan se nahin,
Hum aap se dur hai, aapki yaadon se nahin....... .

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